लोग मुझे पुछते हैं…………..
लोग मुझे पुछते हैं कान्हा…
कैसा है तेरा मोहन………..
तु ही बता कान्हा मैं कैसे करूं तेरा वर्णन
दिल मैं बसा एक एहसास है तु ………
इस दिल को कहां आता है बताना ……
हर पल महसुस करता हुं तुमको ……..
लेकिन आता नहीं है मुझको जताना ….
लोग कहते हैं क्या शिवा तुने देखा
है कान्हा को …………………..
क्या कहुं उनको जिस नजर को बनाया है
उसने
क्या उसको देख पायेंगी
दिल में दिखता है मुझे हर पल
बांसुरी बजाते हुए चलते है संग संग
तु ही तो जीवन है मेरा
कैसे लोगों को मैं समझाऊं ……….
हर पल तु साथ है मेरे …….
कैसे उनको यकीं दिलाऊं ……
सब पुछते हैं मुझसे कान्हां ……..
तेरा मेरा क्या रिस्ता है ………
कैसे समझाऊं उनको कान्हां
कि मेरा तो हर रिस्ता बस तुमसे है …..
पागल कहते हैं मुझे दिवाना समझते हैं …..
मैं कुछ नही समझा पाता हुं उनको ….
बस नादान हैं यही समझकर मुस्कुराता हुं …
हालत मेरी कोई ना जाने ………
कैसे क्या बताऊं
तु ही बता क्या करूं मैं …………
सब देते हैं मुझको ताने ……….
संसार अब ना भाये मुझे ………..
कान्हां अपनी शरण में ले लो मुझे ……….
तुम अगर ना आ सको कान्हां ………….
तो मुझे ही अपने पास बुला लो ……………..
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