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देखा दिल्ली की जनता को——

आवाज उठाओ
आवाज उठाओ
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एमसीडी के नतीजे बङे चौकाने वाले रहे हैं इससे सबक लेना चाहिए नेताओ और पार्टीयों को अब जनता इतनी भोली और पागल नही रही की हम उन्हे पैसे से या शराब से या फिर डरा धमका कर वोट ले सकते हैं। अब परिवर्तन का समय आ गया है जब देश परिवर्तन चाह रहा है। कई सीट एसी थी जहां पर बीजेपी कांग्रेस बीएसपी ने अपने दमदार उम्मीदवार मैदान में उतारे और जी भरकर पैसा भी लुटाया लेकिन परिणाम रहा ठेंगा……….

इससे साफ हो गया है कि अब जो भी जनता का काम करेगा जनता उसी का साथ देगी। कई नेता कह रहे हैं कि इन चुनावों में जो मुद्दे रहे है वो सङक पानी बिजली सफाई के रहे हैं लेकिन अगर में जनता को देखूं तो कुछ दुसरे ही मुद्दे दिख रहे हैं। पश्चिमी दिल्ली की आठ 10 सीट ऐसी है जिन पर पहले जीते हुए उम्मीदवार मैदान में उतारे थे और वो ही अपनी सीट नही बचा पाये तो क्या समझे हम। लोग आज मुद्दो से नही भ्रष्टाचार से दुखी है की 5 साल में कितना पैसा आया और कहां लगाया कुछ दिख ही नही रहा। कल में किसी से बात कर रहा था तो उसने मुझसे कहा कि भाई आप एक बात बताओ ना कोंग्रेस की बात करो ना भाजपा की जो उत्तमनगर से विकासपुरी की तरफ नाला है इस पर 3-4 लाख आदमी रोज आते हैं और इसकी हालत ऐसी है कि पैदल भी नही जा सकता।  तो मैने उस आदमी के अंदर जो आग देखी वो सङक सफाई बिजली पानी की नही थी मुझे ऐसा लगा जैसे अब जनता अपने एक एक पैसे का हिसाब मांगना चाह रही हो, और हमारे नेताओं की तो पुरानी आदत है जब तक चुनाव नही होते तब तक तो अपने को जनता के बेटा जनता का भाई दोस्त कहते हैं लेकिन जितने के बाद इसी जनता को बेगाना समझते हैं। लोगो की एक राय और है कि कांग्रेस ने तो हमारे बच्चों के मुंह से निवाला तक छीन लिया दुध 40 रूपये किलो आटा 20 रूपये जो तेल 2 साल पहले 52 की थैली ( फोरचुन) की आती थी वो ही 88-90 की है और इनका गरिबी रेखा है 29 रूपये से कम तो कैसे हम जियेंगे ये बात मुझसे बहुत लोगों ने कही। हां भाजपा पर उनका थोङा विस्वास है लेकिन कुछ लोगों ने ऐसा डर बैठा दिया है कि वो तो हिंदूओं के लिए है….. अब एक आम आदमी किस पर विस्वास करे और वो इस बार के चुनावों में दिखा दिया किस तरह से निर्दलीय लोग जिताये जनता ने उनको सिर माथे पर रखा है। समझ जाना चाहिए पार्टीयों को।

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